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Wednesday, March 11, 2020

कांग्रेसी कुचक्रग्रस्त सिंधिया परिवार की यात्रा

मप्र सरकार, संकट मध्ये: राजमाता सिंधिया से ज्योतिरादित्य तक: देखें- ग्वालियर के सिंधिया परिवार की राजनैतिक यात्रा, कांग्रेसी कुचक्र। 

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युदस नदि 11 मार्च 20 मध्यप्रदेश में जारी राजनैतिक उठापटक के केंद्र में एक बार फिर ग्वालियर राजघराने की चर्चा सर्वोपरि है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से त्यागपत्र ने उनकी दादी का स्मरण करा दिया, जो चाहती थीं कि पूरा परिवार भाजपा में रहे। जिवाजी राव सिंधिया और विजया राजे सिंधिया की पांच संतानों में माधवराव और अब उनके पुत्र ज्योतिरादित्य के अतिरिक्त सभी भाजपा में ही हैं। आइए जानते हैं, ग्वालियर के सिंधिया परिवार की राजनैतिक यात्रा पर -एक पैनी दृष्टि सम्पादक युगदर्पण   

विजया राजे सिंधिया
ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपनी राजनैतिक यात्रा आरंभ की थी। वह गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं। मात्र 10 वर्ष में ही उनका मोहभंग हो गया और 1967 में वह जनसंघ में चली गईं। विजयराजे सिंधिया के कारण ग्वालियर क्षेत्र में जनसंघ सशक्त हुआ और 1971 में इंदिरा गांधी की लहर के बाद भी जनसंघ यहां की तीन सीटें जीतने में सफल रहा। स्वयं विजयराजे सिंधिया भिंड से, अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से और विजय राजे सिंधिया के बेटे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया गुना से सांसद बने। 
माधव राव सिंधिया
माधव राव सिंधिया अपने मां-पिता की पांच संतानों में एक ही पुत्र थे। वह चार बहनों के बीच अपने माता-पिता की तीसरी संतान थे। माधवराव सिंधिया मात्र 26 वर्ष की आयु में सांसद चुने गए थे, किन्तु वह बहुत दिन तक जनसंघ में नहीं रुके। आपातकाल 1977 के पश्चात वे जनसंघ और अपनी माता विजयराजे सिंधिया से पृथक हो गए। 1980 में माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर केंद्रीय मंत्री भी बने। उनका विमान दुर्घटना में 2001 में निधन हो गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया इनके पुत्र हैं। 
विजयराजे सिंधिया की बेटियों वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया भी राजनीति में हैं। 1984 में वसुंधरा राजे भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हुईं। वह कई बार राजस्थान की मुख्यमंत्री भी बन चुकी हैं। 
यशोधरा राजे सिंधिया
वसुंधरा राजे सिंधिया की बहन यशोधरा 1977 में अमेरिका चली गईं। उनके तीन बच्चे हैं किन्तु राजनीति में किसी ने रूचि नहीं दिखाई। 1994 में जब यशोधरा भारत लौटीं तो उन्होंने मां की इच्छा के अनुसार, भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और 1998 में भाजपा के ही टिकट पर चुनाव लड़ा। पांच बार विधायक रह चुकी यशोधरा राजे सिंधिया, शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मंत्री भी रही हैं। 
ज्योतिरादित्य सिंधिया 
कुचक्रों में घिरा वंश 2001 में एक दुर्घटना में माधवराव सिंधिया की मृत्यु हो गई तो ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता की परम्परा संभालते रहे और कांग्रेस के सशक्त नेता बने रहे। गुना सीट पर उपचुनाव हुए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद चुने गए। 2002 में प्रथम विजय के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया कभी चुनाव नहीं हारे थे, किन्तु ऐसा क्या हुआ कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें करारा झटका लगा। कभी उनके ही सहयोगी रहे कृष्ण पाल सिंह यादव ने ही सिंधिया को परास्त किया। इसके बाद लगातार पार्टी में नकारे जाने पर 10 मार्च 2020 को कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया। सिंधिया वंश को मिटाने का प्रमाण -सिंधिया की हत्या को दुर्घटना दर्शाने, जब तक उनके वंश को निचोड़ सके लााभ उठाया, और खटौला बस पप्पू
 ही बिछेगा! अन्य सब मार्ग से हटा दिए जाएंगे।

दुष्यंत सिंह
ग्वालियर राजघराने सम्बन्ध रखने वाली राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के पुत्र दुष्यंत भी भाजपा में ही हैं। वह अभी राजस्थान के झालवाड़ से सांसद हैं। 

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राष्ट्ररक्षायाम उत्तिष्ठत जाग्रत, परित्राणाय साधुनाम विनाशाय
च: दुष्कृताम, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम !!