दीपावली प्रकाश पर्व मंगलमय हो-

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611.what's App no 9971065525 DD-Live YDMS दूरदर्पण विविध राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय विषयों पर दो दर्जन प्ले-सूची https://www.youtube.com/channel/UCHK9opMlYUfj0yTI6XovOFg एवं CD-Live YDMS चुनावदर्पण https://www.youtube.com/channel/UCjS_ujNAXXQXD4JZXYB-d8Q/channels?disable_polymer=true: :

Thursday, November 12, 2020

👉बिहार व कई उपचुनाव की विजय🎉👈

 

👉बिहार व कई उपचुनाव की विजय🎉👈
👉विजयोत्सव भाजपा केंका दीदउमा दिल्ली👈
युदस नदि 11 नवं 2020: बिहार सहित कई राज्यों के उप-चुनाव में भारी सफलता पर  विजयोत्सव एवं धन्यवाद कार्यक्रम, भाजपा केंका दीदउमा दिल्ली। प्र मं नरेंद्र मोदी का उद्बोधन सीधा प्रसारण।
हमारे दोनों यूट्यूब चैनल CD-Live YDMS👑 चयनदर्पण, एवं DD-Live YDMS👑 दूरदर्पण की उपर्युक्त प्ले सूची (मोदी मोदी मोदी2024) में उपलब्ध है।
-युगदर्पण®2001 मीडिया समूह YDMS👑
https://m.youtube.com/playlist?list=PL3G9LcooHZf0USzBLRcFJUT72gpZ7wVFh

Saturday, September 12, 2020

कितने प्रकार के हिन्दू !

 👉🚩धर्म संस्कृति दर्पण🎯👈 

प्रस्तुति: YugDarpan YDMS👑


👉🚩कितने प्रकार के हिन्दू !🎯👈
के. विक्रम राव

पितृपक्ष चल रहा है। सत्रह सितम्बर (बृहस्पतिवार) को श्राद्ध का अंतिम दिन रहेगा। गंगाजमुनी हिन्दू इस प्रथा का उपहास करते हैं। छद्म आस्थावान छिपे-सहमे रीति से परिपाटी  निभाएंगे। कई श्रद्धालु एक बार जीवन में गया-तीर्थ जाने के बाद निबट जाते हैं। किन्तु अधिकांशतः  अन्य जन सभी रीतियां मन से निभाते हैं। इसी अंतिम समूह का ढंग मुझे बहुत भाता है।

पूर्वजों का आदर मरणोपरांत भी करना, यह दर्शाता है कि नयी पीढ़ी कृतघ्न नहीं है। ऐसे मृत्यु के पश्चात वाले आचरण हमें सूर्योपासक पारसियों, ख्रिस्तीजन, जैन तथा बौद्धों में भी मिलते हैं। वे भी अपने सभी निर्देशित नियमों का विधि-विधान के अनुसार निर्वहन करते हैं।

अर्थात पुण्यकर्म से लाज, झिझक क्यों?

यहाँ चौथे मुग़ल बादशाह शाहाबुद्दीन मुहम्मद शाहजहाँ (खुर्रम) की उक्ति का उल्लेख कर दूं। श्राद्ध पद्धति का उल्लेख अतीव व्यथा से शाहजहाँ ने किया था। अपने बेटे औरंगजेब आलमगीर से बादशाह ने कहा, “हिन्दुओं से सीखो। वे अपने मरे हुए वालिद (पिता) को भी तर्पण में पानी पिलाते हैं और तुम हो कि अपने जीवित पिता को टूटे घड़े में आधा भरकर ही पानी देते हो, प्यासा रखते हो!” बाप से बेटे ने गद्दी हथियाते ही आगरा के किले में बादशाह को बंदी बना रखा था।

अर्थात पारंपरिक सम्बन्ध निभाने में हिन्दू को शहंशाह ने बहुत श्रेष्ठ बताया था। 

आर्यसमाजी भी हिन्दुओं में होते हैं, जो मूर्ति-भंजक (इस्लामिस्टों की भांति बुतशिकन) हैं। वे श्राद्ध का बहिष्कार करते हैं, किन्तु वे वेदोक्त रीतियों को तो मानते हैं। #परन्तु यह नहीं स्वीकारते कि #अथर्ववेद (18-2-49) में उल्लिखित है कि पूर्वजों का स्मरण करना चाहिए: “येनः पितु: पितरो ये पितामहा तेभ्यः पितृभ्यो नमसा विधेम|”

*हिन्दू संप्रदाय के समाजशास्त्रीय प्रबंधन हेतु यह प्रथाएं रची गई थीं। किन्तु नौ सदियों तक के इस्लामी राज में नगरीय क्षेत्रों से ये परम्पराएँ लुप्तप्राय हो गयी हैं। आंचलिक क्षेत्रों में दिखती हैं।

पिण्डदान के विषय में कई भारतीयों के भ्रम को दूर करने हेतु मैं लन्दन के एक महान वैज्ञानिक का अनुभव बता दूं। यथा वह गोरा अंग्रेज था व हम गेहुंए भारतीय, जो युगों से दासता से ग्रसित रहे, तो शायद विचार करलें और मान भी लें कि आत्माएं होती हैं और विचरण करती रहती हैं। उनसे संवाद संभव है। आत्मिक सुधार हेतु प्रयास भी ।

इसी सन्दर्भ में लखनऊ विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग के हमारे एक साथी ने कभी (1959) एक लेख का उल्लेख किया जिसे ब्रिटेन के महान भौतिक शास्त्री लार्ड जॉन विलियम्स स्ट्रट रेले ने लिखा था। जॉन विलियम्स को 1904 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला था। वे बड़े धर्मनिष्ठ थे और पराविज्ञान में निष्णात थे। प्लैंशेट पर वे बहुधा अपने दिवंगत इकलौते पुत्र से संवाद करते थे।

**एक बार पुत्र ने उन्हें बताया कि वह एक अत्यंत ज्वलनशील स्थान पर है। मगर भारतीय आत्माएं यहाँ से शीघ्र मुक्ति पा लेती थीं क्योंकि उनके भूलोकवासी परिजन आटे से गेंदाकार ग्रास बनाकर कोई रीति निर्वहन करते थे। अर्थात पिंडदान ही रहा होगा। 

अतः अब श्राद्ध प्रथा में विश्वास करना होगा।

K Vikram Rao
Mobile: 9415000909 
E-mail:k.vikramrao@gmail.com

Sunday, September 6, 2020

🙏विनम्र श्रद्धांजलि🙏

 🙏विनम्र श्रद्धांजलि🙏

श्रीमति स्नेहलता देवी (डॉ हर्षवर्धन की माताश्री) को परमात्मा अपने श्रीचरणों में स्थान दें, व शोक संतप्त परिवार को दुःख सहने का संबल प्रदान करें-
-भारत विश्वगुरु
व समस्त युगदर्पण® मीडिया समूह YDMS👑
https://www.facebook.com/groups/DESH.KE.CHAUKIDAR/permalink/3727726757246128/

Monday, August 31, 2020

प्रशांत भूषण का अवमानना निर्णय

युदस नदि। 31 अग 2020:  अपने दो ट्वीट को लेकर न्यायालय की अवमानना के दोषी ठहराए गए अधिवक्ता प्रशांत भूषण पर शीर्ष पीठ ने 1 रुपए का आर्थिक दंड लगाया है। शीर्ष पीठ ने कहा कि यह राशि 15 सितंबर तक जमा कराने में विफल रहने पर तीन माह कारावास हो सकता है एवं न्यायिक कार्यों में भाग लेने से तीन वर्ष तक प्रतिबंधित किया जा सकता है।  - युगदर्पण मीडिया समूह के चैनल डीडी लाइव, वाईडीएमएस दूरदर्पण, नई दिल्ली। 

न्यायालय की अवमानना मामले में दोषी पाए गए प्रशांत भूषण पर शीर्ष पीठ का निर्णय आ गया है। न्यायपालिका के विरुद्ध अपने दो ट्वीट को लेकर न्यायालय की अवमानना के दोषी ठहराए गए वकील प्रशांत भूषण पर शीर्ष पीठ ने 1 रुपए का आर्थिक दंड लगाया है। शीर्ष पीठ ने कहा कि यह राशि 15 सितंबर तक जमा कराने में विफल रहने पर तीन माह कारावास हो सकता है और वकालत से तीन वर्ष तक प्रतिबंधित किया जा सकता है। 14 अगस्त को शीर्ष पीठ ने प्रशांत भूषण को शीर्ष न्यायालय और भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की आलोचना करते हुए दो ट्वीट करने के लिए दोषी पाया था। अवमानना पर निर्णय सुनाते समय पीठ ने टिप्पणी की कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता है, पर दूसरों के अधिकारों का सम्मान करने की आवश्यकता है। 

जानें प्रशांत भूषण मामले का विवरण- 27 जून: प्रथम ट्वीट 

प्रशांत भूषण ने गत छह वर्षों में शीर्ष न्यायालय के कार्यों को लेकर दो ट्वीट किए। ट्वीट में आरोप लगाया गया कि इतिहासकार लोकतंत्र के विनाश (जैसा कि भूषण ने आरोप लगाए) में मानने में योगदान देने के रूप में शीर्ष न्यायालय की भूमिका को चिह्नित करेंगे। इससे भी विशेष रूप से गत चार मुख्य न्यायाधिशों की भूमिका को भी चिह्नित करेंगे। 

29 जून: दूसरा ट्वीट 

प्रशांत भूषण ने अपने दूसरे ट्वीट में आरोप लगाया, ''सीजेआई ने बिना मास्क या हेलमेट पहने नागपुर में एक भाजपा नेता की 50 लाख रुपये की मोटर साइकिल की सवारी की। उन्होंने ऐसे समय में यह सवारी की जब वह शीर्ष पीठ को लॉकडाउन मोड पर रखते हैं और नागरिकों को न्याय पाने के उसे उनके मौलिक अधिकार से वंचित करते हैं।” 

9 जुलाई: प्रशांत भूषण के विरुद्ध याचिका- 

एक अधि मेहेक माहेश्वरी ने शीर्ष न्यायालय के समक्ष याचिका लगा कर प्रशांत भूषण के विरुद्ध, उनके ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना की कार्यवाही  कंभरने की मांग की थी। माहेश्वरी की याचिका पर इतनी सहमति नहीं बनी थी, किन्तु फिर भी माहेश्वरी की याचिका के आधार पर न्यायिक प्रक्रिया पूरी (अपने प्रस्ताव पर) करने का निर्णय किया। 

22 जुलाई: शीर्ष पीठ में प्रथम सुनवाई, प्रशांत भूषण को सूचना

शीर्ष पीठ ने माहेश्वरी की याचिका के आधार पर आरम्भिक प्रक्रिया व प्रशांत भूषण को सूचना जारी कर उनकी प्रतिक्रिया मांगी। न्यायालय ने महाअधिवक्ता (अटॉर्नी जनरल) केके वेणुगोपाल को भी सूचित किया और अपनी व्यक्तिगत क्षमता में अनुभवी अधिवक्ता की सहायता मांगी। 

2 अगस्त: भूषण ने क्षमा याचना से मना कर दिया 

प्रशांत भूषण ने शीर्ष पीठ के समक्ष अपनी प्रतिक्रिया अंकित कराई, जिसमें उन्होंने अपने ट्वीट्स के लिए क्षमा याचना से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यह बोलने की स्वतंत्रता  के अंतर्गत आता है। जबकि इस मामले में यह प्रथम बार होगा जब प्रशांत भूषण क्षमा मांगने से मना करेंगे। प्रशांत भूषण ने अपने बचाव में शीर्ष न्यायालय की इसी प्रकार की आलोचना का पूर्व संकेत दिया, जिसमें वर्तमान और पूर्व न्यायाधीश ने शीर्ष पीठ की आलोचना की थी। 

5 अगस्त: सुनवाई 

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने एक दिन के लिए मामले की सुनवाई की व अपना निर्णय सुरक्षित रखा। 

14 अगस्त: भूषण को दोषी ठहराया, दंड की सुनवाई टाल दी 

कड़े शब्दों में दिए गए निर्णय में तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय और पद के विरुद्ध ट्वीट्स में लगाए गए आरोप, प्रकृति में दुर्भावनापूर्ण हैं और एससी के विरुद्ध लांछन लगाने की प्रवृत्ति है। प्रशांत भूषण से इस प्रकार के व्यवहार की आशा नहीं थी। उन्हें न्यायालय की आपराधिक अवमानना ​​का दोषी माना गया है। इसके बाद पीठ ने दंड पर निर्णय के लिए मामले को 20 अगस्त तक के लिए टाल दिया। 

20 अगस्त: एजी केके वेणुगोपाल ने पीठ से भूषण को दंड नहीं देने का आग्रह किया किन्तु भूषण ने कहा कि वे क्षमा नहीं मांगेंगे और न्यायमूर्ति ने भूषण को सोचने के लिए समय दिया और सुनवाई समाप्त की। 

24 अगस्त: भूषण ने अपना पक्ष रखा

प्रशांत भूषण ने शीर्ष पीठ के समक्ष कहा कि वह क्षमा नहीं मांगेंगे। उन्होंने कहा कि उनके ट्वीट के माध्यम से उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचारों ने उनकी विश्वासनीयता का प्रतिनिधित्व किया और परिणामस्वरूप इस प्रकार के विश्वासों को व्यक्त करने के लिए एक क्षमा निष्ठाहीन होगी। आदि आदि

25 अगस्त: दंड सुनाए जाने पर निर्णय सुरक्षित

महाअधिवक्ता ने शीर्ष पीठ से प्रशांत भूषण को चेतावनी देकर छोड़ देने का आग्रह किया। शीर्ष पीठ ने कहा कि ऐसा तब तक नहीं किया जा सकता जब तक भूषण अपने ट्वीट के लिए खेद व्यक्त नहीं करते। शीर्ष पीठ ने कहा कि वह इस मामले को बंद नहीं करेगा और प्रशांत भूषण को दिए  जाने वाले दंड पर अपना निर्णय सुरक्षित रख दिया।  

Tuesday, March 24, 2020

नव संवत 2078, चैत्र प्रतिपदा

नव संवत 2078, चैत्र प्रतिपदा

नव संवत 2078, चैत्र प्रतिपदा की शुभकामनाएं। आप सभी को सपरिवार मंगलमय हो। 
अंग्रेजी का नव वर्ष भले हो मनाया,
उमंग उत्साह चाहे हो जितना दिखाया;
विक्रमी संवत बढ़ चढ़ के मनाएं,
चैत्र के नवरात्रे जब जब आयें।
घर घर सजाएँ उमंग के दीपक जलाएं;
आनंद से ब्रहमांड तक को महकाएं।
यह केवल एक कैलेंडर नहीं, प्रकृति से सम्बन्ध है;
इसी दिन हुआ सृष्टि का आरंभ है। 
 तदनुसार 13 अप्रेल 2021, इस धरा के वराह कल्प की   1955885121वीं वर्षगांठ तथा इसी दिन सृष्टि का शुभारंभ   हुआ. आज के दिन की प्रतिष्ठा ?
1. भगवान राम का जन्म एवं कालांतर में राज्याभिषेक.  2. युधिस्ठिर संवत का आरंभ  3.विक्रमादित्य का दिग्विजय सहित विक्रमी संवत 2078 वर्ष पूर्व आरंभ  4. वासंतिक नवरात्र   का शुभारंभ  5. शिवाजी महाराज की राज्याभिषेक6. राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ  के संस्थापक डॉ  केशव बलिराम हेडगेवर जी का  जन्म  7. आर्य समाज की स्थापना भी वर्षप्रतिपदा को हुई।  देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसे गुडी पडवा,   उगादी, दुर्गा पूजा आदि के रूप में मनाते है। ईश्वर हम सबको ऐसी इच्छा शक्ति प्रदान करे, जिससे हम अखंड माँ भारती को जगदम्बा का स्वरुप प्रदान करे। 
धरती मां पर छाये वैश्विक ताप रुपी दानव को परास्त करे... और सनातन धर्म की जय हो।..
युगदर्पण परिवार की ओर से अखिल विश्व में फैले हिन्दू समाज सहित, सभी के लिए गुडी पडवा, उगादी,
नव संवत 2078, चैत्र प्रतिपदा की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं। 
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे,  तब पायें - नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक 
व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प- युगदर्पण मीडिया समूह YDMSहिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र2001 से पंजी सं RNI DelHin11786/2001 (विविध विषयों के 30ब्लाग, 5 चेनल  अन्य सूत्र) 
की 60-70 से अधिक देशों में  एक वैश्विक पहचान है। अब कू और टूटर पर, व्यक्तिगत एवं संस्थागत खाते हैं। 
-तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार, -युगदर्पण ®2001 YDMS official
जागो और जगाओ!  जड़ों से जुड़ें, 
युगदर्पण®2001 मीडिया समूह YDMS👑  से जुड़ें!!  इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक, बनकर। 
विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाओ !!!     যুগ দর্পণ, યુગ દર્પણ  ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ, யுகதர்பண  യുഗദര്പണ  యుగదర్పణ  ಯುಗದರ್ಪಣ, يگدرپयुगदर्पण:,  yyugdarpan
Media For Nation First & last. राष्ट्र प्रथम से अंतिम, आधारित मीडिया YDMSतिलक -समूह संपादक 
9911111611, 7531949051, 9911383670, 9971065525
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यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक

Wednesday, March 11, 2020

कांग्रेसी कुचक्रग्रस्त सिंधिया परिवार की यात्रा

मप्र सरकार, संकट मध्ये: राजमाता सिंधिया से ज्योतिरादित्य तक: देखें- ग्वालियर के सिंधिया परिवार की राजनैतिक यात्रा, कांग्रेसी कुचक्र। 

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युदस नदि 11 मार्च 20 मध्यप्रदेश में जारी राजनैतिक उठापटक के केंद्र में एक बार फिर ग्वालियर राजघराने की चर्चा सर्वोपरि है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से त्यागपत्र ने उनकी दादी का स्मरण करा दिया, जो चाहती थीं कि पूरा परिवार भाजपा में रहे। जिवाजी राव सिंधिया और विजया राजे सिंधिया की पांच संतानों में माधवराव और अब उनके पुत्र ज्योतिरादित्य के अतिरिक्त सभी भाजपा में ही हैं। आइए जानते हैं, ग्वालियर के सिंधिया परिवार की राजनैतिक यात्रा पर -एक पैनी दृष्टि सम्पादक युगदर्पण   

विजया राजे सिंधिया
ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपनी राजनैतिक यात्रा आरंभ की थी। वह गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं। मात्र 10 वर्ष में ही उनका मोहभंग हो गया और 1967 में वह जनसंघ में चली गईं। विजयराजे सिंधिया के कारण ग्वालियर क्षेत्र में जनसंघ सशक्त हुआ और 1971 में इंदिरा गांधी की लहर के बाद भी जनसंघ यहां की तीन सीटें जीतने में सफल रहा। स्वयं विजयराजे सिंधिया भिंड से, अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से और विजय राजे सिंधिया के बेटे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया गुना से सांसद बने। 
माधव राव सिंधिया
माधव राव सिंधिया अपने मां-पिता की पांच संतानों में एक ही पुत्र थे। वह चार बहनों के बीच अपने माता-पिता की तीसरी संतान थे। माधवराव सिंधिया मात्र 26 वर्ष की आयु में सांसद चुने गए थे, किन्तु वह बहुत दिन तक जनसंघ में नहीं रुके। आपातकाल 1977 के पश्चात वे जनसंघ और अपनी माता विजयराजे सिंधिया से पृथक हो गए। 1980 में माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर केंद्रीय मंत्री भी बने। उनका विमान दुर्घटना में 2001 में निधन हो गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया इनके पुत्र हैं। 
विजयराजे सिंधिया की बेटियों वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया भी राजनीति में हैं। 1984 में वसुंधरा राजे भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हुईं। वह कई बार राजस्थान की मुख्यमंत्री भी बन चुकी हैं। 
यशोधरा राजे सिंधिया
वसुंधरा राजे सिंधिया की बहन यशोधरा 1977 में अमेरिका चली गईं। उनके तीन बच्चे हैं किन्तु राजनीति में किसी ने रूचि नहीं दिखाई। 1994 में जब यशोधरा भारत लौटीं तो उन्होंने मां की इच्छा के अनुसार, भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और 1998 में भाजपा के ही टिकट पर चुनाव लड़ा। पांच बार विधायक रह चुकी यशोधरा राजे सिंधिया, शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मंत्री भी रही हैं। 
ज्योतिरादित्य सिंधिया 
कुचक्रों में घिरा वंश 2001 में एक दुर्घटना में माधवराव सिंधिया की मृत्यु हो गई तो ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता की परम्परा संभालते रहे और कांग्रेस के सशक्त नेता बने रहे। गुना सीट पर उपचुनाव हुए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद चुने गए। 2002 में प्रथम विजय के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया कभी चुनाव नहीं हारे थे, किन्तु ऐसा क्या हुआ कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें करारा झटका लगा। कभी उनके ही सहयोगी रहे कृष्ण पाल सिंह यादव ने ही सिंधिया को परास्त किया। इसके बाद लगातार पार्टी में नकारे जाने पर 10 मार्च 2020 को कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया। सिंधिया वंश को मिटाने का प्रमाण -सिंधिया की हत्या को दुर्घटना दर्शाने, जब तक उनके वंश को निचोड़ सके लााभ उठाया, और खटौला बस पप्पू
 ही बिछेगा! अन्य सब मार्ग से हटा दिए जाएंगे।

दुष्यंत सिंह
ग्वालियर राजघराने सम्बन्ध रखने वाली राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के पुत्र दुष्यंत भी भाजपा में ही हैं। वह अभी राजस्थान के झालवाड़ से सांसद हैं। 

Sunday, March 8, 2020

विश्लेषण- दिल्ली विधानसभा चुनाव

युदस नदि 07 मार्च। दिल्ली विधानसभा चुनाव में हुई भारतीय जनता पार्टी की भारी पराजय कुछ दिनों से चर्चा का विषय रहा है। रास्वसं ने भी भाजपा की चुनावी रणनीति पर प्रश्न खड़ा किया है। संघ की पत्रिका ऑर्गेनाइजर में प्रकाशित लेख में दिल्ली के चुनाव में भाजपा की चुनावी रणनीति पर प्रश्न उठाते हुए कहा गया है कि दिल्ली एक छोटा सा शहर है, अतः पार्टी को यहां स्थानीय मुद्दों के साथ, अपना मुख्यमंत्री सामने रखना चाहिए था। मतदाताओं का ध्यान भटका कर ध्रुवीकरण करने का परिणाम हमारे सामने है। -युगदर्पण®
Issue and face missing

उचित मुद्दे और चेहरे का अभाव

ऑर्गेनाइजर के अनुसार भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में स्थानीय मुद्दों को ढंग से नहीं उठाया, वहीं विपक्ष के पास न केवल ठोस वोट बैंक था, बल्कि उन्होंने स्थानीय मुद्दों को भी लोगों के बीच उठाया जिसका लाभ उन्हें मिला। जिस प्रकार से सभी सांसद, कबीना मंत्रियों ने दिल्ली चुनाव में पार्टी का प्रचार किया, उससे लगता है कि भाजपा मोदी और केन्द्र के सहारे चुनावी वैतरणी पार करना चाहती थी, जोकि इस चुनाव में उसकी सबसे बड़ी भूल रही। पार्टी को स्थानी मुद्दों के साथ दिल्ली इकाई को चुनाव का नेतृत्व संभालना चाहिए था।
Late campaign

विलम्ब से आरंभ हुआ प्रचार

पत्रिका में रतन शरद ने इस लेख लिखा है, कि भाजपा की चुनाव प्रचार नियोजन सही नहीं था। पार्टी ने चुनाव से मात्र कुछ ही दिन पूर्व चुनाव प्रचार करना आरंभ किया, जबकि अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने बहुत पहले ही अपना चुनाव प्रचार आरंभ कर दिया था। भाजपा को दिल्ली के चुनाव में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर एक अभियान चलाने की आवश्यकता थी। किन्तु पार्टी ऐसा नहीं कर सकी। दिल्ली के लोग आम चुनाव और दिल्ली के चुनाव में भिन्न-भिन्न मुद्दों पर वोट करते हैं। इस पर ध्यान देना चाहिए था। 
People trusted AAP

लोगों ने आप पर किया भरोसा

2014 के लोकसभा चुनाव में लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को चुना था, जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में लोगों ने आम आदमी पार्टी को पसंद किया था। यही नहीं दूसरे प्रदेश के चुनाव के रुझान पर दृष्टि डालें तो वह भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। सर्वे में पता चलता है कि लोग नासंका का समर्थन कर रहे हैं, किन्तु विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के समर्थक शाहीन बाग एवं नासंका के मुद्दे को चुनाव का मुद्दा बनाने में विफल रहे। 
शाहीन बाग के मुद्दे पर ऑर्गेनाइजर में लिखा गया है कि गृहमंत्री ने अपनी अधिकतर सभाओं में शाहीन बाग का मुद्दा उठाया, किन्तु मीडिया के समर्थन के अभाव में भाजपा के नेता सभा के आगे इसे नहीं पहुंचा सके। चुनाव पश्चात स्वयं अमित शाह ने कहा था कि उनका मूल्यांकन गलत निकला। 
Won 8 seats

मात्र 8 स्थानों पर मिली विजय

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 70 में से मात्र 8 स्थानों पर विजय मिली, जबकि आम आदमी पार्टी  62 का प्रचंड बहुमत लाई। वहीं कांग्रेस एक बार फिर से प्रदेश में अपना खाता तक नहीं खोल पाई। दिल्ली के चुनाव में भाजपा ने कुल 6577 सभाएं की, जिसमें स्वयं अमित शाह ने 52 रोड शो और जनसभाएं की। 
किन्तु देेश का शीर्ष मीडिया मानो केेजरीवाल की न्यूनताओं को ढकने और उसे नायक बनाने, जबकि भाजपा की एक एक शब्दावली पर उसे खलनायक प्रमाणित करने की ठान कर बैठा था। इसमें जी टीवी को अपवाद मानें। 
मतदाताओं का ध्यान भटका कर ध्रुवीकरण करने का परिणाम हमारे सामने है। -युगदर्पण®

Sunday, February 9, 2020

विश्लेषण परिणाम आंकलन दर्पण:

*आजतक व आआपा की नैतिक पराजय*

*विश्लेषण परिणाम आंकलन दर्पण:*
*दिल्ली चुनाव में भाजपा के प्रयास निष्फल नहीं गए! भाजपा विरोधी  चैनलों का भी ऐसा मानना है!* 
*युदस नदि, 9 फरवरी, 2020* आआपा के समर्थक चैनल aajtak.in के अनुसार इंडिया टुडे और एक्सिस माय ​इंडिया का परिणाम आंकलन दर्पण है कि भाजपा ने दिल्ली में चुनाव प्रचार में जिस ढंग से अपनी पूरी शक्ति झोंक दी थी, वो व्यर्थ नहीं गई है। भाजपा के चुनाव प्रचार से उसके मत प्रतिशत में वृद्धि हुई है।

इनके अनुसार (फोटो-PTI)
परिणाम आंकलन दर्पण में भाजपा का मत प्रतिशत में वृद्धि से 2-11 सीटों पर विजय मिलने की आशा है। जो 2015 में 32% वोट के साथ 3 सीट पर सीमित रह गई थी।
उनके अनुसार दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आआपा) एक बार फिर दिल्ली में सरकार बनाने जा रही है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थिति में पहले से सुधार होता दिख रहा है, जबकि वो सत्ता पर पहुंचने के लिए पर्याप्त नहीं है।

*भाजपा का मत प्रतिशत में वृद्धि*

इंडिया टुडे और एक्सिस माय ​इंडिया के अनुसार, दिल्ली में आम आदमी पार्टी को 56 मत प्रतिशत, भाजपा को 35 प्रतिशत और कांग्रेस को 5 प्रतिशत मतदान पाने का अनुमान है। जिससे आम आदमी पार्टी को 59 से 68 सीटों और भाजपा को 2 से 11 स्थानों पर विजय मिलने की आशा है। जबकि 2015 के विधानसभा चुनाव परिणामों की बात की जाये, तो यह प्रतिशत आदमी पार्टी को 54, भाजपा को 32 और कांग्रेस को 10 वोट प्राप्त हुए थे।

इंडिया टुडे और एक्सिस माय ​इंडिया के एग्जिट पोल भाजपा सफलता को सीटों में स्वीकार करने में तैयार नहीं है। 

*दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर बोले- पूर्व आंकलन और चुनाव परिणामों में होगा बड़ा अंतर*

मनोज तिवारी का दावा:
भाजपा का मत प्रतिशत वृद्धि से उत्साहित है। इसीलिए अब भी परिणामों को लेकर उसका विश्वास अडिग है। पूर्व अनुमान आने के बाद दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दावा किया है कि सारे भ्रामक आंकलन निष्फल  होंगे। उन्होंने ट्वीट किया, '11 फरवरी को मतदान के परिणाम आने पर सभी एग्जिट पोल गलत साबित होंगे. भाजपा अकेले दिल्ली में 48 सीटें लाने जा रही है। असफलता छिपाने व ईवीएम को दोष देने का अभी से बहाना न ढूंढें।'

*केजरीवाल समर्थकों ने एक और बहाना ढूंढ लिया।*

केजरीवाल समर्थकों के अनुसार उनकी पराजय का दोषी झूठे वादे और दावे नहीं अपितु भाजपा की विजय का श्रेय दिया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। भाजपा शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, पूर्व मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और पार्टी के सभी लोकप्रिया नेता प्रचार मैदान में उतरे। यहां तक कि राजग की सहयोगी पार्टी जदयू के प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भी गृह मंत्री अमित शाह ने साझा रैली की।

अमित शाह ने स्वयं मोर्चा संभाले रखा। उन्होंने जमकर जनसभाएं कीं। घर-घर प्रचार भी किया। शाह स्वयं लोगों के दरवाजों तक पहुंचे और भाजपा के लिए वोट मांगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ भी चुनाव प्रचार में उतरे और उन्होंने शाहीन बाग पर केन्द्रित बिन्दु रखा।

*'लक्ष्य 5000', शीर्ष 100 नेताओं ने संभाला नेतृत्व*

भाजपा ने दिल्ली में 5000 जनसभाएं करने की योजना बनाई थी। दिल्ली भाजपा ने शीर्ष नेतृत्व से मांग की थी कि प्रमं मोदी दिल्ली में कम से कम दर्जन भर चुनावी सभाएं करें। जबकि प्रमं मोदी अधिक समय नहीं दे पाए। परन्तु 100 शीर्ष नेताओं ने चुनाव प्रचार में भाग लिया।

अर्थात भाजपा ने प्रचार के मध्य कोई न्यूनता नहीं छोड़ी और परिणाम भी राहत देने वाले ही होंगे। -तिलक मुसं युगदर्पण® २००१

https://aajtak.intoday.in/story/delhi-election-2020-exit-poll-aam-aadmi-party-ec-voting-percentage-bjp-1-1162404.html

Tuesday, February 4, 2020

दिल्ली 2020 और मुफ्तखोरों के जाल:

    • दिल्ली 2020 और मुफ्तखोरों के जाल: 
      • मोदी विरोधी चैनल के भ्रम जाल का विश्लेषण। -युगदर्पण® २००१ 
        • इनके कुछ बिन्दु ठीक होने का अर्थ यह नहीं कि अनावश्यक कचरा साथ चिपकाएं। 
          • निशुल्क चिकित्सा का औचित्य है किन्तु बिजली पानी निशुल्क नहीं शुद्ध पेय जल हो। 
  • नकारात्मक मीडिया का सकारात्मक सार्थक विकल्प- युगदर्पण® 
दिल्ली विधानसभा चुनाव (2020) के लिए मतदान में कुछ दिन शेष हैं। सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने में जुटे हैं और ताबड़-तोड़ रैलियां कर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल अपनी कमी छुपाने व मतदाताओं को के लुभाने हेतु कांटे में पनीर लगाने का प्रयास कर रहे हैं। तो भारतीय जनता पार्टी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवम् गृहमंत्री अमित शाह सहित अपने सभी महारथियों को मैदान में उतार दिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी भी चुनाव प्रचार के मैदान में कूद चुके हैं।
आम आदमी पार्टी जब अपना घोषणा पत्र जारी किया जबकि भाजपा और कांग्रेस अपना घोषणा पत्र पहले जारी कर चुकी हैं। दिल्ली में संघर्ष मुख्यत: इन तीन दलों के बीच है। ये तीनों दल अपनी प्राथमिकता जैसे भाजपा स्वास्थ्य स्वच्छ वातावरण, आआ पार्टी मुफ्त बिजली-पानी उपलब्ध कराने सहित कई मुद्दों को प्राथमिकता के रूप पर प्रचारित कर रही हैं। 
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कि इस बीच, दिल्ली की जनता ने 'आजतक' पर अपना घोषणापत्र बनाया है जिनमें 10 सबसे बड़े मुद्दे शामिल हैं। आजतक ने दिल्ली की जनता के सामने 30 सबसे बड़े मुद्दे रखे थे। हजारों लोगों ने इसमें से 10 सबसे बड़े मुद्दों को चुना है। दिल्ली की जनता ने आजतक के घोषणापत्र के माध्यम राजनीतिक दलों के सामने कथित 10 सबसे बड़े लोकतंत्र को रखे हैं, इनमें से कुछ अनावश्यक हैं।
आजतक के घोषणापत्र में दिल्ली की जनता ने 10 सबसे बड़े मुद्दे चुने जो उनकी प्राथमिकता को दर्शाते हैं। इनमें दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने, पानी को,  निजी स्कूलों की मनमाने ढंगसे लगाई जाने वाली फीस पर रोक लगाने, यमुना नदी की सफाई, निशुल्क चिकित्सा, किन्तु दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाना, निशुल्क बिजली नहीं, पार्किंग, राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (NRC), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) जैसे प्रश्न महत्व के हैं।
1.दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाया जाए
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बड़े महानगरों में एक है जहां देश भर के लोग रहते हैं। किन्तु दिल्ली की हवा निरंतर प्रदूषित होती जा रही है और प्रदूषण विकराल रूप ले चुका है। प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली में तीनों पार्टियां अपनी प्राथमिकता के रूूप में गिना रही हैं। दिल्ली की जनता भी प्रदूषण से बहुत पीड़ित है। वातावरण को लेकर कई बाार स्थिति इतनी बिगड़ गई कि दिल्ली सरकार को स्कूलों में छुट्टियां तक करनी पड़ गई। इसी द्रीष्टी से दिल्ली की जनता ने अपने घोषणापत्र में प्रदूषण की समस्या को प्रमुखता पर रखा है। 
2. हर घर तक स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति हो
स्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई क्षेत्रों में नागरिकों को पीने का साफ पानी तक उपलब्ध नहीं है। साफ पानी तो छोड़िये कई क्षेत्रों में तो पानी की आपूर्ति तक नहीं हो पाई है। जिन क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति है वहां इसकी स्वच्छता को लेकर प्रश्न उठते रहते हैं। लोग आपूर्ति में आने वाले गंदे पानी की शिकायत करते हुए मिल जाते हैं। इसलिए जनता की घोषणा पत्र में पानी एक प्रमुख बिन्दु बना है।
3. निजी स्कूलों की फीस पर अंकुश लगाया जाए
दिल्ली उन महानगरों में एक है, जहां देशभर से आए लोग रहते हैं। ये लोग विभिन्न कार्यों से जुड़े हुए हैं। किन्तु एक बड़ी संख्या है जो महंगे स्कूलों की फीस देने में असक्षम है। सरकारी स्कूलों की कमी और उनकी दुर्दशा के कारण से सभी बच्चों का प्रवेश वहां संभव नहीं है। इसलिए लोग निजी स्कूलों पर निर्भर करने को बाध्य होते हैं। किन्तु वहां भी उन्हें महंगी फीस की मार झेलनी पड़ती है। सरकार से कई प्रकार की छूट प्राप्त करने वाले निजी स्कूलों की महंगी फीस पर अंकुश लगाना आवश्यक है। ये बात घोषणापत्र है में शामिल होने से स्पष्ट होती है। जनता चाहती है कि दिल्ली में जिसकी भी सरकार बने वो निजी स्कूलों की फीस पर अंकुश लगाए।
4. यमुना की सफाई हो, नदी मार्ग बनाया जाए
भारत में नदियां विकास का साधन होने के साथ ही धार्मिक और संस्कृति की भी पहचान हैं। किन्तु दिल्ली से होकर बहने वाली यमुना नदी देश की सबसे प्रदूषित नदियों में अग्रणी है। किनारे से निकलने पर यमुना, नदी कम गंदा नाला अधिक दिखाई देती है। इसका पानी बिल्कुल काला दिखता है जिसमें से दुर्गंध आती रहती है। तो दिल्ली विधानसभा चुनाव में यमुना नदी की सफाई भी बिन्दु बना है जबकि केंद्र सरकार ने नदियों की सफाई के लिए विशेष रुप से भारी-भरकम योजना आरंभ की है। धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए यमुना नदी की सफाई का भी दिल्ली के चुनावों में प्रमुख स्थान है।
5. दिल्ली में सबके निशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था हो
विश्व के कई देशों में या तो निशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था है या चिकित्सा क्षेत्र के लिए सरकारें अपने जीडीपी का एक बड़ा सा व्ययय करती हैं जिससे कि उनके नागरिकों के लिए चिकित्सा सहज उपलब्ध हो सके। नागरिक ही देश समााज की पूंजी होते हैं। वहीं अपने देश में चिकित्सा दिनों-दिन महंगी असहज होती जा रही है। इस दृष्टी से दिल्ली में रहने वाली जनता के एक बड़े वर्ग के लिए चिकित्सा करना बहुत कठिन होता है। इसलिए दिल्ली में रहने वाले लोगों की मांग है कि सबके लिए चिकित्सा निशुल्क होनी चाहिए। जो केन्द्र सरकार की नीति में है। 
6. दिल्ली में NPR और NRC लागू किया जाए
नागरिकता संसोधन कानून (CAA) को लेकर भले देशभर में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। इस बीच, राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (NRC), राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीयन (NPR) का प्रश्न भी प्रमुुता में है। एनआरसी देश में रह रहे नागरिकों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए है। वहीं जनगणना से पूर्व देश राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीयन की प्रक्रिया से भी गुजरता है। दिल्ली की जनता ने इन दोनों प्रश्नों पर अपनी राय घोषणापत्र में प्रकट किया है कि ये होना चाहिए।
7. 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को पेंशन मिले
माना जाता है कि देश की जनसंख्या में एक बड़ा भाग युवाओं का है, किन्तु 60 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों की भी बड़ी संख्या है जिन्हें आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ता है। अधिक आयु होने के कारण वृद्धों के लिए आजीविका कमाना कठिन होता है। अत: दिल्लीवासियों की एक चिंता 60 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी लोग भी हैं जिनके लिए पेंशन की मांग है। 
फुटपाथ पर से अतिक्रमण, पार्किंग हटाई जाए
दिल्ली में फुटपाथ पर अतिक्रमण और पार्किंग एक बड़ी समस्या है। इसके कारण से पैदल चलने वालों को काफी कठिनता का सामना करना पड़ता है। दिल्ली की सड़कें बहुत व्यस्त होती हैं और उनपर वाहनों का आवागमन लगातार बना रहता है। पैदल यात्रियों के लिए रास्ता सुगम हो इसके लिए आवश्यक है कि फुटपाथ से अतिक्रमण को हटाया जाए। फुटपाथ पर लोग गाड़ियां भी पार्क कर देते हैं। इसलिए आवश्यक है कि गाड़ियों के लिए पार्किंग की उचित व्यवस्था हो जिससे कि फुटपाथ खाली रहें। दिल्ली की जनता ने अपने घोषणा पत्र में इसे मुद्दे को भी शामिल किया है।
9. दिल्ली में 300 यूनिट तक बिजली निशुल्क हो
वर्तमान दिल्ली सरकार ने 200 यूनिट तक बिजली निशुल्क कर दी है, किन्तु अब मांग उठने लगी है कि इस सीमा को बढ़ाया जाए। दिल्ली चुनाव में उतरे सभी राजनीतिक दलों ने भी निशुल्क बिजली को अपने घोषणापत्र में शामिल किया है। जनता ने भी आजतक के माध्यम अपने घोषणापत्र में 300 यूनिट तक बिजली के निशुल्क करने की मांग रखी है। 
10. दिल्ली को पूर्ण राज्य का स्तर मिले
दिल्ली को पूर्ण राज्य का स्तर देने की मांग लंबे समय से उठती रही है। वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का स्तर देने की मांग करते रहे हैं। उनकी दलील है कि दिल्ली पूर्ण राज्य होगी तो कई समस्याओं का समाधान करना दिल्ली सरकार के लिए सरल होगा। किन्तु केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण से कई मुद्दे ऐसे होते हैं जिसके लिए केंद्र का मुंह देखना पड़ता है।
दूसरी ओर इससे अधिक महत्व पूर्ण प्रश्न है। जिस प्रकार का व्यवहार अन्य दलों का है, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को निसंकोच केंद्र सरकार का विरोध अवमानना तथा अराजकता के स्तर तक ले जाता है। वोट बैंक बनाने में राष्ट्रद्रोह कर सकते हैं। केन्द्र के अपमान करने हेतु विदेशी अतिथि के समक्ष घटिया हरकत करने में संकोच नहीं करेंगे। तब विश्व में भारत की स्थिति क्या होगी?