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Sunday, February 9, 2020

विश्लेषण परिणाम आंकलन दर्पण:

*आजतक व आआपा की नैतिक पराजय*

*विश्लेषण परिणाम आंकलन दर्पण:*
*दिल्ली चुनाव में भाजपा के प्रयास निष्फल नहीं गए! भाजपा विरोधी  चैनलों का भी ऐसा मानना है!* 
*युदस नदि, 9 फरवरी, 2020* आआपा के समर्थक चैनल aajtak.in के अनुसार इंडिया टुडे और एक्सिस माय ​इंडिया का परिणाम आंकलन दर्पण है कि भाजपा ने दिल्ली में चुनाव प्रचार में जिस ढंग से अपनी पूरी शक्ति झोंक दी थी, वो व्यर्थ नहीं गई है। भाजपा के चुनाव प्रचार से उसके मत प्रतिशत में वृद्धि हुई है।

इनके अनुसार (फोटो-PTI)
परिणाम आंकलन दर्पण में भाजपा का मत प्रतिशत में वृद्धि से 2-11 सीटों पर विजय मिलने की आशा है। जो 2015 में 32% वोट के साथ 3 सीट पर सीमित रह गई थी।
उनके अनुसार दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आआपा) एक बार फिर दिल्ली में सरकार बनाने जा रही है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थिति में पहले से सुधार होता दिख रहा है, जबकि वो सत्ता पर पहुंचने के लिए पर्याप्त नहीं है।

*भाजपा का मत प्रतिशत में वृद्धि*

इंडिया टुडे और एक्सिस माय ​इंडिया के अनुसार, दिल्ली में आम आदमी पार्टी को 56 मत प्रतिशत, भाजपा को 35 प्रतिशत और कांग्रेस को 5 प्रतिशत मतदान पाने का अनुमान है। जिससे आम आदमी पार्टी को 59 से 68 सीटों और भाजपा को 2 से 11 स्थानों पर विजय मिलने की आशा है। जबकि 2015 के विधानसभा चुनाव परिणामों की बात की जाये, तो यह प्रतिशत आदमी पार्टी को 54, भाजपा को 32 और कांग्रेस को 10 वोट प्राप्त हुए थे।

इंडिया टुडे और एक्सिस माय ​इंडिया के एग्जिट पोल भाजपा सफलता को सीटों में स्वीकार करने में तैयार नहीं है। 

*दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर बोले- पूर्व आंकलन और चुनाव परिणामों में होगा बड़ा अंतर*

मनोज तिवारी का दावा:
भाजपा का मत प्रतिशत वृद्धि से उत्साहित है। इसीलिए अब भी परिणामों को लेकर उसका विश्वास अडिग है। पूर्व अनुमान आने के बाद दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दावा किया है कि सारे भ्रामक आंकलन निष्फल  होंगे। उन्होंने ट्वीट किया, '11 फरवरी को मतदान के परिणाम आने पर सभी एग्जिट पोल गलत साबित होंगे. भाजपा अकेले दिल्ली में 48 सीटें लाने जा रही है। असफलता छिपाने व ईवीएम को दोष देने का अभी से बहाना न ढूंढें।'

*केजरीवाल समर्थकों ने एक और बहाना ढूंढ लिया।*

केजरीवाल समर्थकों के अनुसार उनकी पराजय का दोषी झूठे वादे और दावे नहीं अपितु भाजपा की विजय का श्रेय दिया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। भाजपा शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, पूर्व मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और पार्टी के सभी लोकप्रिया नेता प्रचार मैदान में उतरे। यहां तक कि राजग की सहयोगी पार्टी जदयू के प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भी गृह मंत्री अमित शाह ने साझा रैली की।

अमित शाह ने स्वयं मोर्चा संभाले रखा। उन्होंने जमकर जनसभाएं कीं। घर-घर प्रचार भी किया। शाह स्वयं लोगों के दरवाजों तक पहुंचे और भाजपा के लिए वोट मांगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ भी चुनाव प्रचार में उतरे और उन्होंने शाहीन बाग पर केन्द्रित बिन्दु रखा।

*'लक्ष्य 5000', शीर्ष 100 नेताओं ने संभाला नेतृत्व*

भाजपा ने दिल्ली में 5000 जनसभाएं करने की योजना बनाई थी। दिल्ली भाजपा ने शीर्ष नेतृत्व से मांग की थी कि प्रमं मोदी दिल्ली में कम से कम दर्जन भर चुनावी सभाएं करें। जबकि प्रमं मोदी अधिक समय नहीं दे पाए। परन्तु 100 शीर्ष नेताओं ने चुनाव प्रचार में भाग लिया।

अर्थात भाजपा ने प्रचार के मध्य कोई न्यूनता नहीं छोड़ी और परिणाम भी राहत देने वाले ही होंगे। -तिलक मुसं युगदर्पण® २००१

https://aajtak.intoday.in/story/delhi-election-2020-exit-poll-aam-aadmi-party-ec-voting-percentage-bjp-1-1162404.html

Tuesday, February 4, 2020

दिल्ली 2020 और मुफ्तखोरों के जाल:

    • दिल्ली 2020 और मुफ्तखोरों के जाल: 
      • मोदी विरोधी चैनल के भ्रम जाल का विश्लेषण। -युगदर्पण® २००१ 
        • इनके कुछ बिन्दु ठीक होने का अर्थ यह नहीं कि अनावश्यक कचरा साथ चिपकाएं। 
          • निशुल्क चिकित्सा का औचित्य है किन्तु बिजली पानी निशुल्क नहीं शुद्ध पेय जल हो। 
  • नकारात्मक मीडिया का सकारात्मक सार्थक विकल्प- युगदर्पण® 
दिल्ली विधानसभा चुनाव (2020) के लिए मतदान में कुछ दिन शेष हैं। सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने में जुटे हैं और ताबड़-तोड़ रैलियां कर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल अपनी कमी छुपाने व मतदाताओं को के लुभाने हेतु कांटे में पनीर लगाने का प्रयास कर रहे हैं। तो भारतीय जनता पार्टी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवम् गृहमंत्री अमित शाह सहित अपने सभी महारथियों को मैदान में उतार दिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी भी चुनाव प्रचार के मैदान में कूद चुके हैं।
आम आदमी पार्टी जब अपना घोषणा पत्र जारी किया जबकि भाजपा और कांग्रेस अपना घोषणा पत्र पहले जारी कर चुकी हैं। दिल्ली में संघर्ष मुख्यत: इन तीन दलों के बीच है। ये तीनों दल अपनी प्राथमिकता जैसे भाजपा स्वास्थ्य स्वच्छ वातावरण, आआ पार्टी मुफ्त बिजली-पानी उपलब्ध कराने सहित कई मुद्दों को प्राथमिकता के रूप पर प्रचारित कर रही हैं। 
यह भी पढ़ें के नाम से भ्रमित न हों:- 
कि इस बीच, दिल्ली की जनता ने 'आजतक' पर अपना घोषणापत्र बनाया है जिनमें 10 सबसे बड़े मुद्दे शामिल हैं। आजतक ने दिल्ली की जनता के सामने 30 सबसे बड़े मुद्दे रखे थे। हजारों लोगों ने इसमें से 10 सबसे बड़े मुद्दों को चुना है। दिल्ली की जनता ने आजतक के घोषणापत्र के माध्यम राजनीतिक दलों के सामने कथित 10 सबसे बड़े लोकतंत्र को रखे हैं, इनमें से कुछ अनावश्यक हैं।
आजतक के घोषणापत्र में दिल्ली की जनता ने 10 सबसे बड़े मुद्दे चुने जो उनकी प्राथमिकता को दर्शाते हैं। इनमें दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने, पानी को,  निजी स्कूलों की मनमाने ढंगसे लगाई जाने वाली फीस पर रोक लगाने, यमुना नदी की सफाई, निशुल्क चिकित्सा, किन्तु दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाना, निशुल्क बिजली नहीं, पार्किंग, राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (NRC), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) जैसे प्रश्न महत्व के हैं।
1.दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाया जाए
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बड़े महानगरों में एक है जहां देश भर के लोग रहते हैं। किन्तु दिल्ली की हवा निरंतर प्रदूषित होती जा रही है और प्रदूषण विकराल रूप ले चुका है। प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली में तीनों पार्टियां अपनी प्राथमिकता के रूूप में गिना रही हैं। दिल्ली की जनता भी प्रदूषण से बहुत पीड़ित है। वातावरण को लेकर कई बाार स्थिति इतनी बिगड़ गई कि दिल्ली सरकार को स्कूलों में छुट्टियां तक करनी पड़ गई। इसी द्रीष्टी से दिल्ली की जनता ने अपने घोषणापत्र में प्रदूषण की समस्या को प्रमुखता पर रखा है। 
2. हर घर तक स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति हो
स्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई क्षेत्रों में नागरिकों को पीने का साफ पानी तक उपलब्ध नहीं है। साफ पानी तो छोड़िये कई क्षेत्रों में तो पानी की आपूर्ति तक नहीं हो पाई है। जिन क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति है वहां इसकी स्वच्छता को लेकर प्रश्न उठते रहते हैं। लोग आपूर्ति में आने वाले गंदे पानी की शिकायत करते हुए मिल जाते हैं। इसलिए जनता की घोषणा पत्र में पानी एक प्रमुख बिन्दु बना है।
3. निजी स्कूलों की फीस पर अंकुश लगाया जाए
दिल्ली उन महानगरों में एक है, जहां देशभर से आए लोग रहते हैं। ये लोग विभिन्न कार्यों से जुड़े हुए हैं। किन्तु एक बड़ी संख्या है जो महंगे स्कूलों की फीस देने में असक्षम है। सरकारी स्कूलों की कमी और उनकी दुर्दशा के कारण से सभी बच्चों का प्रवेश वहां संभव नहीं है। इसलिए लोग निजी स्कूलों पर निर्भर करने को बाध्य होते हैं। किन्तु वहां भी उन्हें महंगी फीस की मार झेलनी पड़ती है। सरकार से कई प्रकार की छूट प्राप्त करने वाले निजी स्कूलों की महंगी फीस पर अंकुश लगाना आवश्यक है। ये बात घोषणापत्र है में शामिल होने से स्पष्ट होती है। जनता चाहती है कि दिल्ली में जिसकी भी सरकार बने वो निजी स्कूलों की फीस पर अंकुश लगाए।
4. यमुना की सफाई हो, नदी मार्ग बनाया जाए
भारत में नदियां विकास का साधन होने के साथ ही धार्मिक और संस्कृति की भी पहचान हैं। किन्तु दिल्ली से होकर बहने वाली यमुना नदी देश की सबसे प्रदूषित नदियों में अग्रणी है। किनारे से निकलने पर यमुना, नदी कम गंदा नाला अधिक दिखाई देती है। इसका पानी बिल्कुल काला दिखता है जिसमें से दुर्गंध आती रहती है। तो दिल्ली विधानसभा चुनाव में यमुना नदी की सफाई भी बिन्दु बना है जबकि केंद्र सरकार ने नदियों की सफाई के लिए विशेष रुप से भारी-भरकम योजना आरंभ की है। धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए यमुना नदी की सफाई का भी दिल्ली के चुनावों में प्रमुख स्थान है।
5. दिल्ली में सबके निशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था हो
विश्व के कई देशों में या तो निशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था है या चिकित्सा क्षेत्र के लिए सरकारें अपने जीडीपी का एक बड़ा सा व्ययय करती हैं जिससे कि उनके नागरिकों के लिए चिकित्सा सहज उपलब्ध हो सके। नागरिक ही देश समााज की पूंजी होते हैं। वहीं अपने देश में चिकित्सा दिनों-दिन महंगी असहज होती जा रही है। इस दृष्टी से दिल्ली में रहने वाली जनता के एक बड़े वर्ग के लिए चिकित्सा करना बहुत कठिन होता है। इसलिए दिल्ली में रहने वाले लोगों की मांग है कि सबके लिए चिकित्सा निशुल्क होनी चाहिए। जो केन्द्र सरकार की नीति में है। 
6. दिल्ली में NPR और NRC लागू किया जाए
नागरिकता संसोधन कानून (CAA) को लेकर भले देशभर में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। इस बीच, राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (NRC), राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीयन (NPR) का प्रश्न भी प्रमुुता में है। एनआरसी देश में रह रहे नागरिकों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए है। वहीं जनगणना से पूर्व देश राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीयन की प्रक्रिया से भी गुजरता है। दिल्ली की जनता ने इन दोनों प्रश्नों पर अपनी राय घोषणापत्र में प्रकट किया है कि ये होना चाहिए।
7. 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को पेंशन मिले
माना जाता है कि देश की जनसंख्या में एक बड़ा भाग युवाओं का है, किन्तु 60 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों की भी बड़ी संख्या है जिन्हें आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ता है। अधिक आयु होने के कारण वृद्धों के लिए आजीविका कमाना कठिन होता है। अत: दिल्लीवासियों की एक चिंता 60 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी लोग भी हैं जिनके लिए पेंशन की मांग है। 
फुटपाथ पर से अतिक्रमण, पार्किंग हटाई जाए
दिल्ली में फुटपाथ पर अतिक्रमण और पार्किंग एक बड़ी समस्या है। इसके कारण से पैदल चलने वालों को काफी कठिनता का सामना करना पड़ता है। दिल्ली की सड़कें बहुत व्यस्त होती हैं और उनपर वाहनों का आवागमन लगातार बना रहता है। पैदल यात्रियों के लिए रास्ता सुगम हो इसके लिए आवश्यक है कि फुटपाथ से अतिक्रमण को हटाया जाए। फुटपाथ पर लोग गाड़ियां भी पार्क कर देते हैं। इसलिए आवश्यक है कि गाड़ियों के लिए पार्किंग की उचित व्यवस्था हो जिससे कि फुटपाथ खाली रहें। दिल्ली की जनता ने अपने घोषणा पत्र में इसे मुद्दे को भी शामिल किया है।
9. दिल्ली में 300 यूनिट तक बिजली निशुल्क हो
वर्तमान दिल्ली सरकार ने 200 यूनिट तक बिजली निशुल्क कर दी है, किन्तु अब मांग उठने लगी है कि इस सीमा को बढ़ाया जाए। दिल्ली चुनाव में उतरे सभी राजनीतिक दलों ने भी निशुल्क बिजली को अपने घोषणापत्र में शामिल किया है। जनता ने भी आजतक के माध्यम अपने घोषणापत्र में 300 यूनिट तक बिजली के निशुल्क करने की मांग रखी है। 
10. दिल्ली को पूर्ण राज्य का स्तर मिले
दिल्ली को पूर्ण राज्य का स्तर देने की मांग लंबे समय से उठती रही है। वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का स्तर देने की मांग करते रहे हैं। उनकी दलील है कि दिल्ली पूर्ण राज्य होगी तो कई समस्याओं का समाधान करना दिल्ली सरकार के लिए सरल होगा। किन्तु केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण से कई मुद्दे ऐसे होते हैं जिसके लिए केंद्र का मुंह देखना पड़ता है।
दूसरी ओर इससे अधिक महत्व पूर्ण प्रश्न है। जिस प्रकार का व्यवहार अन्य दलों का है, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को निसंकोच केंद्र सरकार का विरोध अवमानना तथा अराजकता के स्तर तक ले जाता है। वोट बैंक बनाने में राष्ट्रद्रोह कर सकते हैं। केन्द्र के अपमान करने हेतु विदेशी अतिथि के समक्ष घटिया हरकत करने में संकोच नहीं करेंगे। तब विश्व में भारत की स्थिति क्या होगी?