दीपावली प्रकाश पर्व मंगलमय हो-

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611.what's App no 9971065525 DD-Live YDMS दूरदर्पण विविध राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय विषयों पर दो दर्जन प्ले-सूची https://www.youtube.com/channel/UCHK9opMlYUfj0yTI6XovOFg एवं CD-Live YDMS चुनावदर्पण https://www.youtube.com/channel/UCjS_ujNAXXQXD4JZXYB-d8Q/channels?disable_polymer=true: :

Saturday, August 28, 2021

गू -गल की सड़ांध!? कैसे हुआ अर्थ कुअर्थ?

 गू -गल की सड़ांध!? कैसे हुआ अर्थ कुअर्थ?

एक ब्लॉग का नाम है शर्म-निरपेक्षता का उपचार। अर्थात छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर फैलती शर्मनिरपेक्षता के निर्लज्ज देशद्रोह का उपचार। राष्ट्रहित सर्वोपरि आधारित एक समर्पित राष्ट्रीय चिंतन। 
किन्तु गूगल की संग्रहण नीति, उसे अंग्रेजी में अनुवाद करने की है। हिन्दी से अंग्रेजी संग्रह कर, पुनः हिन्दी में इसने मशीन अनुवाद उसके भाषांतरण से भावनात्मक परिवर्तन करके, लिखा सूक्ष्म निष्पादन, !?... !? पुनः उसे यथास्थिति देने में असफल रहता है। इस प्रकार अर्थ का अनर्थ हो जाता है। इतने वर्षों इस पर ध्यान दिया नहीं, मूल विषय की छवि और 10 वर्ष पूर्व की लोकप्रियता को नष्ट कर दिया। निरंतरता के अभाव में जो दिखता है वही समझ लिया जाता है। 
भारतस्य शर्मनिरपेक्ष व्यवस्था दर्पण:- शर्मनिरपेक्षता का अर्थ सापेक्षता नहीं। इसके विपरीत है। किन्तु दोहरा भाषांतरण सब उल्टा-पुल्टा कर दिया। 
गूगल से गू गलने की सड़ांध आने लगी। इसे बदलना होगा। स्वदेशी विकल्प लाओ, जड़ों से जुड़ें। 
तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार -युगदर्पण ®2001 मीडिया समूह YDMS👑 
नकारात्मक भांड मीडिया जो असामाजिक तत्वों का महिमामंडन करे, उसका सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, प्रेरक राष्ट्र नायको का यशगान -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS👑 - तिलक संपादक

Tuesday, August 3, 2021

मैं रहूं या न रहूं, भारत ये रहना चाहिए🙏

 देश से है प्यार तो हर पल ये कहना चाहिए। मैं रहूं या न रहूं, भारत ये रहना चाहिए🙏 

*(1/65,संपादित)* देश से है प्यार तो हर पल ये कहना चाहिए। मैं रहूं या न रहूं, भारत ये रहना चाहिए, क्रम ये मेरे बाद भी चलते ही रहना चाहिए। 

देश से है प्यार तो हर पल ये कहना चाहिए। मैं रहूं या न रहूं, भारत ये रहना चाहिए 

शिराओं को मेरी करके तार, और बनादो इक सितार, राग भारत मुझ पे छेड़ो, झनझनाओ बारम्बार, देश से ये प्रेम नेत्रों से छलकना चाहिए! देश से है प्यार तो हर पल ये कहना चाहिए। मैं रहूं या न रहूं, भारत ये रहना चाहिए... शत्रु से कहदो कि अब सीमा में रहना सीख ले, ये मेरा भारत अमर है, सत्य कहना सीख ले। भक्ति की इस शक्ति को बढ़कर दिखाना चाहिए। 

देश से है प्यार तो हर पल ये कहना चाहिए। मैं रहूं या न रहूं, भारत ये रहना चाहिए🙏 - तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार 

https://youtube.com/playlist?list=PL3G9LcooHZf0HKks72xQlTZD1-n6Y6tRq 

Sunday, April 11, 2021

नव संवत 2078, चैत्र प्रतिपदा

 

नव संवत 2078, चैत्र प्रतिपदा

नव संवत 2078, चैत्र प्रतिपदा की शुभकामनाएं। आप सभी को सपरिवार मंगलमय हो। 
अंग्रेजी का नव वर्ष भले हो मनाया,
उमंग उत्साह चाहे हो जितना दिखाया;
विक्रमी संवत बढ़ चढ़ के मनाएं,
चैत्र के नवरात्रे जब जब आयें।
घर घर सजाएँ उमंग के दीपक जलाएं;
आनंद से ब्रहमांड तक को महकाएं।
यह केवल एक कैलेंडर नहीं, प्रकृति से सम्बन्ध है;
इसी दिन हुआ सृष्टि का आरंभ है। 
 तदनुसार 13 अप्रेल 2021, इस धरा के वराह कल्प की   1955885121वीं वर्षगांठ तथा इसी दिन सृष्टि का शुभारंभ   हुआ. आज के दिन की प्रतिष्ठा ?
1. भगवान राम का जन्म एवं कालांतर में राज्याभिषेक.  2. युधिस्ठिर संवत का आरंभ  3.विक्रमादित्य का दिग्विजय सहित विक्रमी संवत 2078 वर्ष पूर्व आरंभ  4. वासंतिक नवरात्र   का शुभारंभ  5. शिवाजी महाराज की राज्याभिषेक6. राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ  के संस्थापक डॉ  केशव बलिराम हेडगेवर जी का  जन्म  7. आर्य समाज की स्थापना भी वर्षप्रतिपदा को हुई।  देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसे गुडी पडवा,   उगादी, दुर्गा पूजा आदि के रूप में मनाते है। ईश्वर हम सबको ऐसी इच्छा शक्ति प्रदान करे, जिससे हम अखंड माँ भारती को जगदम्बा का स्वरुप प्रदान करे। 
धरती मां पर छाये वैश्विक ताप रुपी दानव को परास्त करे... और सनातन धर्म की जय हो।..
युगदर्पण परिवार की ओर से अखिल विश्व में फैले हिन्दू समाज सहित, सभी के लिए गुडी पडवा, उगादी,
नव संवत 2078, चैत्र प्रतिपदा की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं। 
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे,  तब पायें - नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक 
व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प- युगदर्पण मीडिया समूह YDMSहिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र2001 से पंजी सं RNI DelHin11786/2001 (विविध विषयों के 30ब्लाग, 5 चेनल  अन्य सूत्र) 
की 60-70 से अधिक देशों में  एक वैश्विक पहचान है। अब कू और टूटर पर, व्यक्तिगत एवं संस्थागत खाते हैं। 
-तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार, -युगदर्पण ®2001 YDMS official
जागो और जगाओ!  जड़ों से जुड़ें, 
युगदर्पण®2001 मीडिया समूह YDMS👑  से जुड़ें!!  इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक, बनकर। 
विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाओ !!!     যুগ দর্পণ, યુગ દર્પણ  ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ, யுகதர்பண  യുഗദര്പണ  యుగదర్పణ  ಯುಗದರ್ಪಣ, يگدرپयुगदर्पण:,  yyugdarpan
Media For Nation First & last. राष्ट्र प्रथम से अंतिम, आधारित मीडिया YDMSतिलक -समूह संपादक 
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यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक

Thursday, November 12, 2020

👉बिहार व कई उपचुनाव की विजय🎉👈

 

👉बिहार व कई उपचुनाव की विजय🎉👈
👉विजयोत्सव भाजपा केंका दीदउमा दिल्ली👈
युदस नदि 11 नवं 2020: बिहार सहित कई राज्यों के उप-चुनाव में भारी सफलता पर  विजयोत्सव एवं धन्यवाद कार्यक्रम, भाजपा केंका दीदउमा दिल्ली। प्र मं नरेंद्र मोदी का उद्बोधन सीधा प्रसारण।
हमारे दोनों यूट्यूब चैनल CD-Live YDMS👑 चयनदर्पण, एवं DD-Live YDMS👑 दूरदर्पण की उपर्युक्त प्ले सूची (मोदी मोदी मोदी2024) में उपलब्ध है।
-युगदर्पण®2001 मीडिया समूह YDMS👑
https://m.youtube.com/playlist?list=PL3G9LcooHZf0USzBLRcFJUT72gpZ7wVFh

Saturday, September 12, 2020

कितने प्रकार के हिन्दू !

 👉🚩धर्म संस्कृति दर्पण🎯👈 

प्रस्तुति: YugDarpan YDMS👑


👉🚩कितने प्रकार के हिन्दू !🎯👈
के. विक्रम राव

पितृपक्ष चल रहा है। सत्रह सितम्बर (बृहस्पतिवार) को श्राद्ध का अंतिम दिन रहेगा। गंगाजमुनी हिन्दू इस प्रथा का उपहास करते हैं। छद्म आस्थावान छिपे-सहमे रीति से परिपाटी  निभाएंगे। कई श्रद्धालु एक बार जीवन में गया-तीर्थ जाने के बाद निबट जाते हैं। किन्तु अधिकांशतः  अन्य जन सभी रीतियां मन से निभाते हैं। इसी अंतिम समूह का ढंग मुझे बहुत भाता है।

पूर्वजों का आदर मरणोपरांत भी करना, यह दर्शाता है कि नयी पीढ़ी कृतघ्न नहीं है। ऐसे मृत्यु के पश्चात वाले आचरण हमें सूर्योपासक पारसियों, ख्रिस्तीजन, जैन तथा बौद्धों में भी मिलते हैं। वे भी अपने सभी निर्देशित नियमों का विधि-विधान के अनुसार निर्वहन करते हैं।

अर्थात पुण्यकर्म से लाज, झिझक क्यों?

यहाँ चौथे मुग़ल बादशाह शाहाबुद्दीन मुहम्मद शाहजहाँ (खुर्रम) की उक्ति का उल्लेख कर दूं। श्राद्ध पद्धति का उल्लेख अतीव व्यथा से शाहजहाँ ने किया था। अपने बेटे औरंगजेब आलमगीर से बादशाह ने कहा, “हिन्दुओं से सीखो। वे अपने मरे हुए वालिद (पिता) को भी तर्पण में पानी पिलाते हैं और तुम हो कि अपने जीवित पिता को टूटे घड़े में आधा भरकर ही पानी देते हो, प्यासा रखते हो!” बाप से बेटे ने गद्दी हथियाते ही आगरा के किले में बादशाह को बंदी बना रखा था।

अर्थात पारंपरिक सम्बन्ध निभाने में हिन्दू को शहंशाह ने बहुत श्रेष्ठ बताया था। 

आर्यसमाजी भी हिन्दुओं में होते हैं, जो मूर्ति-भंजक (इस्लामिस्टों की भांति बुतशिकन) हैं। वे श्राद्ध का बहिष्कार करते हैं, किन्तु वे वेदोक्त रीतियों को तो मानते हैं। #परन्तु यह नहीं स्वीकारते कि #अथर्ववेद (18-2-49) में उल्लिखित है कि पूर्वजों का स्मरण करना चाहिए: “येनः पितु: पितरो ये पितामहा तेभ्यः पितृभ्यो नमसा विधेम|”

*हिन्दू संप्रदाय के समाजशास्त्रीय प्रबंधन हेतु यह प्रथाएं रची गई थीं। किन्तु नौ सदियों तक के इस्लामी राज में नगरीय क्षेत्रों से ये परम्पराएँ लुप्तप्राय हो गयी हैं। आंचलिक क्षेत्रों में दिखती हैं।

पिण्डदान के विषय में कई भारतीयों के भ्रम को दूर करने हेतु मैं लन्दन के एक महान वैज्ञानिक का अनुभव बता दूं। यथा वह गोरा अंग्रेज था व हम गेहुंए भारतीय, जो युगों से दासता से ग्रसित रहे, तो शायद विचार करलें और मान भी लें कि आत्माएं होती हैं और विचरण करती रहती हैं। उनसे संवाद संभव है। आत्मिक सुधार हेतु प्रयास भी ।

इसी सन्दर्भ में लखनऊ विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग के हमारे एक साथी ने कभी (1959) एक लेख का उल्लेख किया जिसे ब्रिटेन के महान भौतिक शास्त्री लार्ड जॉन विलियम्स स्ट्रट रेले ने लिखा था। जॉन विलियम्स को 1904 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला था। वे बड़े धर्मनिष्ठ थे और पराविज्ञान में निष्णात थे। प्लैंशेट पर वे बहुधा अपने दिवंगत इकलौते पुत्र से संवाद करते थे।

**एक बार पुत्र ने उन्हें बताया कि वह एक अत्यंत ज्वलनशील स्थान पर है। मगर भारतीय आत्माएं यहाँ से शीघ्र मुक्ति पा लेती थीं क्योंकि उनके भूलोकवासी परिजन आटे से गेंदाकार ग्रास बनाकर कोई रीति निर्वहन करते थे। अर्थात पिंडदान ही रहा होगा। 

अतः अब श्राद्ध प्रथा में विश्वास करना होगा।

K Vikram Rao
Mobile: 9415000909 
E-mail:k.vikramrao@gmail.com

Sunday, September 6, 2020

🙏विनम्र श्रद्धांजलि🙏

 🙏विनम्र श्रद्धांजलि🙏

श्रीमति स्नेहलता देवी (डॉ हर्षवर्धन की माताश्री) को परमात्मा अपने श्रीचरणों में स्थान दें, व शोक संतप्त परिवार को दुःख सहने का संबल प्रदान करें-
-भारत विश्वगुरु
व समस्त युगदर्पण® मीडिया समूह YDMS👑
https://www.facebook.com/groups/DESH.KE.CHAUKIDAR/permalink/3727726757246128/

Monday, August 31, 2020

प्रशांत भूषण का अवमानना निर्णय

युदस नदि। 31 अग 2020:  अपने दो ट्वीट को लेकर न्यायालय की अवमानना के दोषी ठहराए गए अधिवक्ता प्रशांत भूषण पर शीर्ष पीठ ने 1 रुपए का आर्थिक दंड लगाया है। शीर्ष पीठ ने कहा कि यह राशि 15 सितंबर तक जमा कराने में विफल रहने पर तीन माह कारावास हो सकता है एवं न्यायिक कार्यों में भाग लेने से तीन वर्ष तक प्रतिबंधित किया जा सकता है।  - युगदर्पण मीडिया समूह के चैनल डीडी लाइव, वाईडीएमएस दूरदर्पण, नई दिल्ली। 

न्यायालय की अवमानना मामले में दोषी पाए गए प्रशांत भूषण पर शीर्ष पीठ का निर्णय आ गया है। न्यायपालिका के विरुद्ध अपने दो ट्वीट को लेकर न्यायालय की अवमानना के दोषी ठहराए गए वकील प्रशांत भूषण पर शीर्ष पीठ ने 1 रुपए का आर्थिक दंड लगाया है। शीर्ष पीठ ने कहा कि यह राशि 15 सितंबर तक जमा कराने में विफल रहने पर तीन माह कारावास हो सकता है और वकालत से तीन वर्ष तक प्रतिबंधित किया जा सकता है। 14 अगस्त को शीर्ष पीठ ने प्रशांत भूषण को शीर्ष न्यायालय और भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की आलोचना करते हुए दो ट्वीट करने के लिए दोषी पाया था। अवमानना पर निर्णय सुनाते समय पीठ ने टिप्पणी की कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता है, पर दूसरों के अधिकारों का सम्मान करने की आवश्यकता है। 

जानें प्रशांत भूषण मामले का विवरण- 27 जून: प्रथम ट्वीट 

प्रशांत भूषण ने गत छह वर्षों में शीर्ष न्यायालय के कार्यों को लेकर दो ट्वीट किए। ट्वीट में आरोप लगाया गया कि इतिहासकार लोकतंत्र के विनाश (जैसा कि भूषण ने आरोप लगाए) में मानने में योगदान देने के रूप में शीर्ष न्यायालय की भूमिका को चिह्नित करेंगे। इससे भी विशेष रूप से गत चार मुख्य न्यायाधिशों की भूमिका को भी चिह्नित करेंगे। 

29 जून: दूसरा ट्वीट 

प्रशांत भूषण ने अपने दूसरे ट्वीट में आरोप लगाया, ''सीजेआई ने बिना मास्क या हेलमेट पहने नागपुर में एक भाजपा नेता की 50 लाख रुपये की मोटर साइकिल की सवारी की। उन्होंने ऐसे समय में यह सवारी की जब वह शीर्ष पीठ को लॉकडाउन मोड पर रखते हैं और नागरिकों को न्याय पाने के उसे उनके मौलिक अधिकार से वंचित करते हैं।” 

9 जुलाई: प्रशांत भूषण के विरुद्ध याचिका- 

एक अधि मेहेक माहेश्वरी ने शीर्ष न्यायालय के समक्ष याचिका लगा कर प्रशांत भूषण के विरुद्ध, उनके ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना की कार्यवाही  कंभरने की मांग की थी। माहेश्वरी की याचिका पर इतनी सहमति नहीं बनी थी, किन्तु फिर भी माहेश्वरी की याचिका के आधार पर न्यायिक प्रक्रिया पूरी (अपने प्रस्ताव पर) करने का निर्णय किया। 

22 जुलाई: शीर्ष पीठ में प्रथम सुनवाई, प्रशांत भूषण को सूचना

शीर्ष पीठ ने माहेश्वरी की याचिका के आधार पर आरम्भिक प्रक्रिया व प्रशांत भूषण को सूचना जारी कर उनकी प्रतिक्रिया मांगी। न्यायालय ने महाअधिवक्ता (अटॉर्नी जनरल) केके वेणुगोपाल को भी सूचित किया और अपनी व्यक्तिगत क्षमता में अनुभवी अधिवक्ता की सहायता मांगी। 

2 अगस्त: भूषण ने क्षमा याचना से मना कर दिया 

प्रशांत भूषण ने शीर्ष पीठ के समक्ष अपनी प्रतिक्रिया अंकित कराई, जिसमें उन्होंने अपने ट्वीट्स के लिए क्षमा याचना से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यह बोलने की स्वतंत्रता  के अंतर्गत आता है। जबकि इस मामले में यह प्रथम बार होगा जब प्रशांत भूषण क्षमा मांगने से मना करेंगे। प्रशांत भूषण ने अपने बचाव में शीर्ष न्यायालय की इसी प्रकार की आलोचना का पूर्व संकेत दिया, जिसमें वर्तमान और पूर्व न्यायाधीश ने शीर्ष पीठ की आलोचना की थी। 

5 अगस्त: सुनवाई 

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने एक दिन के लिए मामले की सुनवाई की व अपना निर्णय सुरक्षित रखा। 

14 अगस्त: भूषण को दोषी ठहराया, दंड की सुनवाई टाल दी 

कड़े शब्दों में दिए गए निर्णय में तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय और पद के विरुद्ध ट्वीट्स में लगाए गए आरोप, प्रकृति में दुर्भावनापूर्ण हैं और एससी के विरुद्ध लांछन लगाने की प्रवृत्ति है। प्रशांत भूषण से इस प्रकार के व्यवहार की आशा नहीं थी। उन्हें न्यायालय की आपराधिक अवमानना ​​का दोषी माना गया है। इसके बाद पीठ ने दंड पर निर्णय के लिए मामले को 20 अगस्त तक के लिए टाल दिया। 

20 अगस्त: एजी केके वेणुगोपाल ने पीठ से भूषण को दंड नहीं देने का आग्रह किया किन्तु भूषण ने कहा कि वे क्षमा नहीं मांगेंगे और न्यायमूर्ति ने भूषण को सोचने के लिए समय दिया और सुनवाई समाप्त की। 

24 अगस्त: भूषण ने अपना पक्ष रखा

प्रशांत भूषण ने शीर्ष पीठ के समक्ष कहा कि वह क्षमा नहीं मांगेंगे। उन्होंने कहा कि उनके ट्वीट के माध्यम से उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचारों ने उनकी विश्वासनीयता का प्रतिनिधित्व किया और परिणामस्वरूप इस प्रकार के विश्वासों को व्यक्त करने के लिए एक क्षमा निष्ठाहीन होगी। आदि आदि

25 अगस्त: दंड सुनाए जाने पर निर्णय सुरक्षित

महाअधिवक्ता ने शीर्ष पीठ से प्रशांत भूषण को चेतावनी देकर छोड़ देने का आग्रह किया। शीर्ष पीठ ने कहा कि ऐसा तब तक नहीं किया जा सकता जब तक भूषण अपने ट्वीट के लिए खेद व्यक्त नहीं करते। शीर्ष पीठ ने कहा कि वह इस मामले को बंद नहीं करेगा और प्रशांत भूषण को दिए  जाने वाले दंड पर अपना निर्णय सुरक्षित रख दिया।