गू -गल की सड़ांध!? कैसे हुआ अर्थ कुअर्थ?

आज की गान्धारी अपनी आँखों पर नहीं जनसामान्य को नियमों से बाँधकर व उनकी आँखों पर कानून की तथा विचार बदलने हेतु मस्तिष्क पर भ्रामक प्रचार की पट्टी चढ़ा देती है। आज दुर्योधन व गान्धारी के साथ सभी 100 कौरव अपने 200 हाथों से अपने ही देश को खोखला करने में लगे हैं। भीष्म को भी लूट में भागीदारी मिल रही है। दूसरी ओर कृष्ण अभी दूर दूर तक कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। जबकि दोनों पक्षों की सेनाएं कुरुक्षेत्र में उतरने की तैयारी में हैं। जय भारत! तिलक -संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. 7531949051, 9910774607.
दीपावली प्रकाश पर्व मंगलमय हो-
Saturday, August 28, 2021
गू -गल की सड़ांध!? कैसे हुआ अर्थ कुअर्थ?
Tuesday, August 3, 2021
मैं रहूं या न रहूं, भारत ये रहना चाहिए🙏
देश से है प्यार तो हर पल ये कहना चाहिए। मैं रहूं या न रहूं, भारत ये रहना चाहिए🙏
*(1/65,संपादित)* देश से है प्यार तो हर पल ये कहना चाहिए। मैं रहूं या न रहूं, भारत ये रहना चाहिए, क्रम ये मेरे बाद भी चलते ही रहना चाहिए।
देश से है प्यार तो हर पल ये कहना चाहिए। मैं रहूं या न रहूं, भारत ये रहना चाहिए
शिराओं को मेरी करके तार, और बनादो इक सितार, राग भारत मुझ पे छेड़ो, झनझनाओ बारम्बार, देश से ये प्रेम नेत्रों से छलकना चाहिए! देश से है प्यार तो हर पल ये कहना चाहिए। मैं रहूं या न रहूं, भारत ये रहना चाहिए... शत्रु से कहदो कि अब सीमा में रहना सीख ले, ये मेरा भारत अमर है, सत्य कहना सीख ले। भक्ति की इस शक्ति को बढ़कर दिखाना चाहिए।
देश से है प्यार तो हर पल ये कहना चाहिए। मैं रहूं या न रहूं, भारत ये रहना चाहिए🙏 - तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार
https://youtube.com/playlist?list=PL3G9LcooHZf0HKks72xQlTZD1-n6Y6tRq
Sunday, April 11, 2021
नव संवत 2078, चैत्र प्रतिपदा
नव संवत 2078, चैत्र प्रतिपदा
अंग्रेजी का नव वर्ष भले हो मनाया,
व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प- युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र, 2001 से पंजी सं RNI DelHin11786/2001 (विविध विषयों के 30ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र)
की 60-70 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। अब कू और टूटर पर, व्यक्तिगत एवं संस्थागत खाते हैं।
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
Thursday, November 12, 2020
👉बिहार व कई उपचुनाव की विजय🎉👈
👉बिहार व कई उपचुनाव की विजय🎉👈
👉विजयोत्सव भाजपा केंका दीदउमा दिल्ली👈
युदस नदि 11 नवं 2020: बिहार सहित कई राज्यों के उप-चुनाव में भारी सफलता पर विजयोत्सव एवं धन्यवाद कार्यक्रम, भाजपा केंका दीदउमा दिल्ली। प्र मं नरेंद्र मोदी का उद्बोधन सीधा प्रसारण।
हमारे दोनों यूट्यूब चैनल CD-Live YDMS👑 चयनदर्पण, एवं DD-Live YDMS👑 दूरदर्पण की उपर्युक्त प्ले सूची (मोदी मोदी मोदी2024) में उपलब्ध है।
-युगदर्पण®2001 मीडिया समूह YDMS👑
https://m.youtube.com/playlist?list=PL3G9LcooHZf0USzBLRcFJUT72gpZ7wVFh
Saturday, September 12, 2020
कितने प्रकार के हिन्दू !
👉🚩धर्म संस्कृति दर्पण🎯👈
प्रस्तुति: YugDarpan YDMS👑
👉🚩कितने प्रकार के हिन्दू !🎯👈
के. विक्रम राव
पितृपक्ष चल रहा है। सत्रह सितम्बर (बृहस्पतिवार) को श्राद्ध का अंतिम दिन रहेगा। गंगाजमुनी हिन्दू इस प्रथा का उपहास करते हैं। छद्म आस्थावान छिपे-सहमे रीति से परिपाटी निभाएंगे। कई श्रद्धालु एक बार जीवन में गया-तीर्थ जाने के बाद निबट जाते हैं। किन्तु अधिकांशतः अन्य जन सभी रीतियां मन से निभाते हैं। इसी अंतिम समूह का ढंग मुझे बहुत भाता है।
पूर्वजों का आदर मरणोपरांत भी करना, यह दर्शाता है कि नयी पीढ़ी कृतघ्न नहीं है। ऐसे मृत्यु के पश्चात वाले आचरण हमें सूर्योपासक पारसियों, ख्रिस्तीजन, जैन तथा बौद्धों में भी मिलते हैं। वे भी अपने सभी निर्देशित नियमों का विधि-विधान के अनुसार निर्वहन करते हैं।
अर्थात पुण्यकर्म से लाज, झिझक क्यों?
यहाँ चौथे मुग़ल बादशाह शाहाबुद्दीन मुहम्मद शाहजहाँ (खुर्रम) की उक्ति का उल्लेख कर दूं। श्राद्ध पद्धति का उल्लेख अतीव व्यथा से शाहजहाँ ने किया था। अपने बेटे औरंगजेब आलमगीर से बादशाह ने कहा, “हिन्दुओं से सीखो। वे अपने मरे हुए वालिद (पिता) को भी तर्पण में पानी पिलाते हैं और तुम हो कि अपने जीवित पिता को टूटे घड़े में आधा भरकर ही पानी देते हो, प्यासा रखते हो!” बाप से बेटे ने गद्दी हथियाते ही आगरा के किले में बादशाह को बंदी बना रखा था।
अर्थात पारंपरिक सम्बन्ध निभाने में हिन्दू को शहंशाह ने बहुत श्रेष्ठ बताया था।
आर्यसमाजी भी हिन्दुओं में होते हैं, जो मूर्ति-भंजक (इस्लामिस्टों की भांति बुतशिकन) हैं। वे श्राद्ध का बहिष्कार करते हैं, किन्तु वे वेदोक्त रीतियों को तो मानते हैं। #परन्तु यह नहीं स्वीकारते कि #अथर्ववेद (18-2-49) में उल्लिखित है कि पूर्वजों का स्मरण करना चाहिए: “येनः पितु: पितरो ये पितामहा तेभ्यः पितृभ्यो नमसा विधेम|”
*हिन्दू संप्रदाय के समाजशास्त्रीय प्रबंधन हेतु यह प्रथाएं रची गई थीं। किन्तु नौ सदियों तक के इस्लामी राज में नगरीय क्षेत्रों से ये परम्पराएँ लुप्तप्राय हो गयी हैं। आंचलिक क्षेत्रों में दिखती हैं।
पिण्डदान के विषय में कई भारतीयों के भ्रम को दूर करने हेतु मैं लन्दन के एक महान वैज्ञानिक का अनुभव बता दूं। यथा वह गोरा अंग्रेज था व हम गेहुंए भारतीय, जो युगों से दासता से ग्रसित रहे, तो शायद विचार करलें और मान भी लें कि आत्माएं होती हैं और विचरण करती रहती हैं। उनसे संवाद संभव है। आत्मिक सुधार हेतु प्रयास भी ।
इसी सन्दर्भ में लखनऊ विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग के हमारे एक साथी ने कभी (1959) एक लेख का उल्लेख किया जिसे ब्रिटेन के महान भौतिक शास्त्री लार्ड जॉन विलियम्स स्ट्रट रेले ने लिखा था। जॉन विलियम्स को 1904 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला था। वे बड़े धर्मनिष्ठ थे और पराविज्ञान में निष्णात थे। प्लैंशेट पर वे बहुधा अपने दिवंगत इकलौते पुत्र से संवाद करते थे।
**एक बार पुत्र ने उन्हें बताया कि वह एक अत्यंत ज्वलनशील स्थान पर है। मगर भारतीय आत्माएं यहाँ से शीघ्र मुक्ति पा लेती थीं क्योंकि उनके भूलोकवासी परिजन आटे से गेंदाकार ग्रास बनाकर कोई रीति निर्वहन करते थे। अर्थात पिंडदान ही रहा होगा।
अतः अब श्राद्ध प्रथा में विश्वास करना होगा।
K Vikram Rao
Mobile: 9415000909
E-mail:k.vikramrao@gmail.com
Sunday, September 6, 2020
🙏विनम्र श्रद्धांजलि🙏
🙏विनम्र श्रद्धांजलि🙏
श्रीमति स्नेहलता देवी (डॉ हर्षवर्धन की माताश्री) को परमात्मा अपने श्रीचरणों में स्थान दें, व शोक संतप्त परिवार को दुःख सहने का संबल प्रदान करें-
-भारत विश्वगुरु
व समस्त युगदर्पण® मीडिया समूह YDMS👑
https://www.facebook.com/groups/DESH.KE.CHAUKIDAR/permalink/3727726757246128/
Monday, August 31, 2020
प्रशांत भूषण का अवमानना निर्णय
युदस नदि। 31 अग 2020: अपने दो ट्वीट को लेकर न्यायालय की अवमानना के दोषी ठहराए गए अधिवक्ता प्रशांत भूषण पर शीर्ष पीठ ने 1 रुपए का आर्थिक दंड लगाया है। शीर्ष पीठ ने कहा कि यह राशि 15 सितंबर तक जमा कराने में विफल रहने पर तीन माह कारावास हो सकता है एवं न्यायिक कार्यों में भाग लेने से तीन वर्ष तक प्रतिबंधित किया जा सकता है। - युगदर्पण मीडिया समूह के चैनल डीडी लाइव, वाईडीएमएस दूरदर्पण, नई दिल्ली।
न्यायालय की अवमानना मामले में दोषी पाए गए प्रशांत भूषण पर शीर्ष पीठ का निर्णय आ गया है। न्यायपालिका के विरुद्ध अपने दो ट्वीट को लेकर न्यायालय की अवमानना के दोषी ठहराए गए वकील प्रशांत भूषण पर शीर्ष पीठ ने 1 रुपए का आर्थिक दंड लगाया है। शीर्ष पीठ ने कहा कि यह राशि 15 सितंबर तक जमा कराने में विफल रहने पर तीन माह कारावास हो सकता है और वकालत से तीन वर्ष तक प्रतिबंधित किया जा सकता है। 14 अगस्त को शीर्ष पीठ ने प्रशांत भूषण को शीर्ष न्यायालय और भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की आलोचना करते हुए दो ट्वीट करने के लिए दोषी पाया था। अवमानना पर निर्णय सुनाते समय पीठ ने टिप्पणी की कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता है, पर दूसरों के अधिकारों का सम्मान करने की आवश्यकता है।
जानें प्रशांत भूषण मामले का विवरण- 27 जून: प्रथम ट्वीट
प्रशांत भूषण ने गत छह वर्षों में शीर्ष न्यायालय के कार्यों को लेकर दो ट्वीट किए। ट्वीट में आरोप लगाया गया कि इतिहासकार लोकतंत्र के विनाश (जैसा कि भूषण ने आरोप लगाए) में मानने में योगदान देने के रूप में शीर्ष न्यायालय की भूमिका को चिह्नित करेंगे। इससे भी विशेष रूप से गत चार मुख्य न्यायाधिशों की भूमिका को भी चिह्नित करेंगे।
29 जून: दूसरा ट्वीट
प्रशांत भूषण ने अपने दूसरे ट्वीट में आरोप लगाया, ''सीजेआई ने बिना मास्क या हेलमेट पहने नागपुर में एक भाजपा नेता की 50 लाख रुपये की मोटर साइकिल की सवारी की। उन्होंने ऐसे समय में यह सवारी की जब वह शीर्ष पीठ को लॉकडाउन मोड पर रखते हैं और नागरिकों को न्याय पाने के उसे उनके मौलिक अधिकार से वंचित करते हैं।”
9 जुलाई: प्रशांत भूषण के विरुद्ध याचिका-
एक अधि मेहेक माहेश्वरी ने शीर्ष न्यायालय के समक्ष याचिका लगा कर प्रशांत भूषण के विरुद्ध, उनके ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना की कार्यवाही कंभरने की मांग की थी। माहेश्वरी की याचिका पर इतनी सहमति नहीं बनी थी, किन्तु फिर भी माहेश्वरी की याचिका के आधार पर न्यायिक प्रक्रिया पूरी (अपने प्रस्ताव पर) करने का निर्णय किया।
22 जुलाई: शीर्ष पीठ में प्रथम सुनवाई, प्रशांत भूषण को सूचना
शीर्ष पीठ ने माहेश्वरी की याचिका के आधार पर आरम्भिक प्रक्रिया व प्रशांत भूषण को सूचना जारी कर उनकी प्रतिक्रिया मांगी। न्यायालय ने महाअधिवक्ता (अटॉर्नी जनरल) केके वेणुगोपाल को भी सूचित किया और अपनी व्यक्तिगत क्षमता में अनुभवी अधिवक्ता की सहायता मांगी।
2 अगस्त: भूषण ने क्षमा याचना से मना कर दिया
प्रशांत भूषण ने शीर्ष पीठ के समक्ष अपनी प्रतिक्रिया अंकित कराई, जिसमें उन्होंने अपने ट्वीट्स के लिए क्षमा याचना से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यह बोलने की स्वतंत्रता के अंतर्गत आता है। जबकि इस मामले में यह प्रथम बार होगा जब प्रशांत भूषण क्षमा मांगने से मना करेंगे। प्रशांत भूषण ने अपने बचाव में शीर्ष न्यायालय की इसी प्रकार की आलोचना का पूर्व संकेत दिया, जिसमें वर्तमान और पूर्व न्यायाधीश ने शीर्ष पीठ की आलोचना की थी।
5 अगस्त: सुनवाई
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने एक दिन के लिए मामले की सुनवाई की व अपना निर्णय सुरक्षित रखा।
14 अगस्त: भूषण को दोषी ठहराया, दंड की सुनवाई टाल दी
कड़े शब्दों में दिए गए निर्णय में तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय और पद के विरुद्ध ट्वीट्स में लगाए गए आरोप, प्रकृति में दुर्भावनापूर्ण हैं और एससी के विरुद्ध लांछन लगाने की प्रवृत्ति है। प्रशांत भूषण से इस प्रकार के व्यवहार की आशा नहीं थी। उन्हें न्यायालय की आपराधिक अवमानना का दोषी माना गया है। इसके बाद पीठ ने दंड पर निर्णय के लिए मामले को 20 अगस्त तक के लिए टाल दिया।
20 अगस्त: एजी केके वेणुगोपाल ने पीठ से भूषण को दंड नहीं देने का आग्रह किया किन्तु भूषण ने कहा कि वे क्षमा नहीं मांगेंगे और न्यायमूर्ति ने भूषण को सोचने के लिए समय दिया और सुनवाई समाप्त की।
24 अगस्त: भूषण ने अपना पक्ष रखा
प्रशांत भूषण ने शीर्ष पीठ के समक्ष कहा कि वह क्षमा नहीं मांगेंगे। उन्होंने कहा कि उनके ट्वीट के माध्यम से उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचारों ने उनकी विश्वासनीयता का प्रतिनिधित्व किया और परिणामस्वरूप इस प्रकार के विश्वासों को व्यक्त करने के लिए एक क्षमा निष्ठाहीन होगी। आदि आदि
25 अगस्त: दंड सुनाए जाने पर निर्णय सुरक्षित
महाअधिवक्ता ने शीर्ष पीठ से प्रशांत भूषण को चेतावनी देकर छोड़ देने का आग्रह किया। शीर्ष पीठ ने कहा कि ऐसा तब तक नहीं किया जा सकता जब तक भूषण अपने ट्वीट के लिए खेद व्यक्त नहीं करते। शीर्ष पीठ ने कहा कि वह इस मामले को बंद नहीं करेगा और प्रशांत भूषण को दिए जाने वाले दंड पर अपना निर्णय सुरक्षित रख दिया।